यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय
परिचय:
यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय आधुनिक इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। 18वीं और 19वीं सदी में यूरोप में हुए बदलावों ने न केवल यूरोप बल्कि पूरे विश्व को प्रभावित किया। इस अध्याय में हम समझेंगे कि कैसे फ्रांसीसी क्रांति ने राष्ट्रवाद की नींव रखी और आधुनिक राष्ट्र-राज्य की अवधारणा को जन्म दिया।
राष्ट्रवाद का अर्थ है अपने राष्ट्र के प्रति गहरी भावना और निष्ठा। यह वह विचारधारा है जो लोगों को एक सूत्र में बांधती है - साझा इतिहास, भाषा, संस्कृति और क्षेत्र के आधार पर। फ्रांसीसी क्रांति ने इस विचार को एक नया रूप दिया।
फ्रांसीसी क्रांति से पहले की स्थिति
1789 से पहले फ्रांस में राजतंत्र था। राजा लुई XVI का शासन था और समाज तीन वर्गों में बंटा था - पादरी वर्ग, कुलीन वर्ग और तीसरा वर्ग (आम जनता)। पहले दो वर्गों को विशेषाधिकार प्राप्त थे जबकि तीसरे वर्ग पर भारी कर का बोझ था।
उस समय फ्रांस में कोई एक राष्ट्रीय पहचान नहीं थी। विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग कानून, माप-तौल की प्रणाली और सीमा शुल्क थे। राजा को ईश्वर का प्रतिनिधि माना जाता था और प्रजा को उसका आज्ञाकारी सेवक।
फ्रांसीसी क्रांति का प्रारंभ (1789)
राष्ट्र की नई अवधारणा
फ्रांसीसी क्रांति ने राजनीतिक सत्ता को राजा से लेकर नागरिकों के हाथों में सौंप दिया। अब राष्ट्र की संप्रभुता राजा में नहीं बल्कि जनता में निहित थी। यह एक बहुत बड़ा बदलाव था।
क्रांतिकारियों ने घोषणा की कि अब से फ्रांस की जनता ही राष्ट्र का निर्माण करेगी। प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार और कर्तव्य होंगे। यह विचार पूरी तरह से नया था।
राष्ट्रीय एकता के प्रतीक
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प्रतीक/परिवर्तन |
विवरण |
महत्व |
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तिरंगा झंडा |
नया राष्ट्रीय ध्वज (नीला, सफेद, लाल) |
राजशाही के झंडे की जगह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक |
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राष्ट्रीय सभा |
एस्टेट्स जनरल की जगह |
सभी नागरिकों का प्रतिनिधित्व |
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स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व |
नया राष्ट्रीय नारा |
क्रांति के मूल सिद्धांत |
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राष्ट्रगान |
"ला मार्सिए" |
राष्ट्रीय भावना को जगाना |
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केंद्रीय प्रशासन |
स्थानीय शासन को समाप्त कर एक समान कानून |
राष्ट्रीय एकता |
नागरिकता का नया विचार
फ्रांसीसी क्रांति ने "प्रजा" की जगह "नागरिक" की अवधारणा दी। अब लोग राजा की प्रजा नहीं बल्कि राष्ट्र के सक्रिय नागरिक थे। उन्हें अधिकार भी थे और जिम्मेदारियां भी।
1791 के संविधान में यह स्पष्ट किया गया कि अब सत्ता का स्रोत जनता है, न कि राजा। राष्ट्रीय सभा का गठन हुआ जिसे जनता द्वारा चुना गया। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की शुरुआत थी।
क्रांति द्वारा लाए गए सामाजिक सुधार
समानता की स्थापना
क्रांति ने सामंती व्यवस्था को समाप्त कर दिया। अब सभी नागरिक कानून की नजर में समान थे। जन्म के आधार पर विशेषाधिकार समाप्त हो गए।
पादरी वर्ग और कुलीन वर्ग के विशेष अधिकार खत्म कर दिए गए। सभी नागरिकों पर समान कर लगाया जाने लगा। यह सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम था।
एकीकरण के उपाय
फ्रांसीसी क्रांति ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए:
· एक समान कानून: पूरे फ्रांस में एक ही कानून व्यवस्था लागू की गई
· माप-तौल की मानक प्रणाली: विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग माप प्रणाली को समाप्त कर दिया गया
· आंतरिक सीमा शुल्क समाप्त: व्यापार में आसानी और आर्थिक एकीकरण
· फ्रेंच भाषा को बढ़ावा: राष्ट्रीय भाषा के रूप में फ्रेंच को प्रोत्साहित किया गया
उदाहरण: भाषा का महत्व
क्रांति से पहले फ्रांस में विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग बोलियां बोली जाती थीं। केवल 13% लोग ही फ्रेंच बोलते थे। क्रांति के बाद फ्रेंच को राष्ट्रीय भाषा बनाया गया। सरकारी दस्तावेज, शिक्षा और न्यायालयों में फ्रेंच का प्रयोग अनिवार्य कर दिया गया। इससे राष्ट्रीय एकता मजबूत हुई।
नेपोलियन बोनापार्ट और राष्ट्रवाद का प्रसार
नेपोलियन का योगदान
1799 में नेपोलियन ने फ्रांस की सत्ता संभाली। यद्यपि वह एक तानाशाह था, फिर भी उसने क्रांति के कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांतों को आगे बढ़ाया।
नेपोलियन संहिता (1804): इसने जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए। कानून के समक्ष समानता और संपत्ति के अधिकार को सुनिश्चित किया। यह संहिता फ्रांस की सीमाओं के बाहर भी लागू की गई।
यूरोप में फ्रांसीसी विचारों का प्रसार
नेपोलियन ने यूरोप के कई देशों को जीता। जहां भी उसकी सेना गई, वहां क्रांति के विचार भी पहुंचे:
· सामंती व्यवस्था का अंत
· प्रशासनिक सुधार
· कानून में समानता
· व्यापार की स्वतंत्रता
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पहलू |
सकारात्मक प्रभाव |
नकारात्मक प्रभाव |
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राजनीतिक |
लोकतांत्रिक विचारों का प्रसार |
विदेशी शासन का विरोध |
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सामाजिक |
सामंतवाद का अंत, समानता |
स्थानीय परंपराओं को नुकसान |
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आर्थिक |
एकीकृत बाजार, व्यापार की सुविधा |
भारी कर, सैनिक खर्च |
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सांस्कृतिक |
शिक्षा का प्रसार |
फ्रांसीसी संस्कृति का थोपना |
विरोधाभास
नेपोलियन ने एक ओर लोकतांत्रिक विचारों को फैलाया, लेकिन दूसरी ओर वह एक विजेता था। जीते गए देशों में लोगों ने धीरे-धीरे विदेशी शासन के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन शुरू कर दिए। इस प्रकार नेपोलियन ने अनजाने में ही यूरोप में राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया।
मानवाधिकार घोषणापत्र (1789)
फ्रांसीसी क्रांति की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि "मानव और नागरिक अधिकारों की घोषणा" थी। इस घोषणापत्र में कहा गया:
· सभी मनुष्य जन्म से स्वतंत्र और समान हैं
· स्वतंत्रता, संपत्ति, सुरक्षा और अत्याचार का प्रतिरोध प्राकृतिक अधिकार हैं
· राष्ट्र सभी संप्रभुता का स्रोत है
· कानून सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति है
यह घोषणापत्र केवल फ्रांस के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा बना।
महिलाओं की भूमिका
फ्रांसीसी क्रांति में महिलाओं ने सक्रिय भागीदारी की। उन्होंने समान अधिकारों की मांग की।
उदाहरण: ओलंप दे गूजे ने महिलाओं के अधिकारों की घोषणा की। उन्होंने तर्क दिया कि यदि महिलाएं फांसी के तख्ते पर चढ़ सकती हैं तो उन्हें राजनीतिक मंच पर भी आने का अधिकार होना चाहिए।
हालांकि, क्रांति के बाद भी महिलाओं को पूर्ण समानता नहीं मिली। उन्हें मतदान का अधिकार नहीं था और उन्हें पुरुषों पर निर्भर माना जाता था।
राष्ट्रीय प्रतीकों का विकास
दृश्य प्रतीक
क्रांति ने राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए कई दृश्य प्रतीकों का प्रयोग किया:
मारिआन: फ्रांसीसी गणराज्य का प्रतीक - एक महिला जो लाल टोपी (स्वतंत्रता का प्रतीक) पहने हुई है। यह मूर्तियां सार्वजनिक स्थानों पर लगाई गईं ताकि लोगों में राष्ट्रीय एकता की भावना जागे।
तिरंगा झंडा: नीला, सफेद और लाल रंग - यह तीन रंग स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
राष्ट्रीय त्योहार
14 जुलाई को बास्तील किले के पतन की याद में राष्ट्रीय दिवस मनाया जाने लगा। सार्वजनिक समारोहों और जुलूसों के माध्यम से राष्ट्रीय भावना को मजबूत किया गया।
फ्रांसीसी क्रांति का दीर्घकालिक प्रभाव
यूरोप में राष्ट्रवाद की लहर
फ्रांसीसी क्रांति ने पूरे यूरोप में राष्ट्रवादी विचारों को फैलाया। जर्मनी, इटली, पोलैंड और अन्य देशों में लोगों ने एकीकृत राष्ट्र-राज्य की मांग करनी शुरू कर दी।
विभिन्न क्षेत्रों में बिखरे लोग अपनी साझा संस्कृति, भाषा और इतिहास के आधार पर एक होने लगे। यह प्रक्रिया पूरी 19वीं सदी तक चलती रही।
लोकतंत्र की नींव
क्रांति ने यह विचार दिया कि सत्ता जनता से आती है। संविधान, नागरिक अधिकार और जनप्रतिनिधित्व की अवधारणाएं आधुनिक लोकतंत्र की नींव बनीं।
निष्कर्ष
फ्रांसीसी क्रांति ने राष्ट्रवाद के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने राजतंत्र और सामंतवाद की जगह जनतांत्रिक व्यवस्था की नींव रखी। राष्ट्र की नई परिभाषा दी गई - जहां नागरिक केंद्र में थे, न कि राजा।
क्रांति के सिद्धांतों - स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व - ने न केवल फ्रांस बल्कि पूरे विश्व को प्रभावित किया। यद्यपि क्रांति के कुछ वादे पूरे नहीं हुए (विशेषकर महिलाओं के संदर्भ में), फिर भी इसने आधुनिक राष्ट्र-राज्य और लोकतंत्र की अवधारणा को जन्म दिया।
आज भी हम जो लोकतांत्रिक मूल्य देखते हैं, उनकी जड़ें फ्रांसीसी क्रांति में हैं। यह क्रांति इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी जिसने मानव समाज को नई दिशा दी।
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