बौद्ध धर्म (Buddhism)
परिचय
भारत विश्व की अनेक महान परंपराओं और धर्मों की जन्मभूमि रहा है। इन्हीं में से एक है बौद्ध धर्म, जिसकी स्थापना महात्मा गौतम बुद्ध ने लगभग ढाई हजार साल पहले की थी। बौद्ध धर्म का उद्देश्य मानव जीवन के मूल प्रश्न – "दुःख क्यों है और इससे मुक्ति कैसे मिले?" – का उत्तर देना है।
गौतम बुद्ध ने जात-पात, कर्मकांड और अंधविश्वासों का विरोध करते हुए करुणा, सत्य, सम्यक दृष्टि, मध्यम मार्ग और अहिंसा पर आधारित जीवन जीने की राह दिखाई। यही कारण है कि बौद्ध धर्म न केवल भारत बल्कि एशिया और पूरी दुनिया में एक प्रमुख धर्म के रूप में स्थापित हुआ।
आज बौद्ध धर्म के करोड़ों अनुयायी हैं, और यह धर्म शांति, मैत्री और करुणा का प्रतीक माना जाता है।
गौतम बुद्ध का जीवन
जन्म और प्रारंभिक जीवन
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जन्मस्थान – लुंबिनी (वर्तमान नेपाल)
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जन्मतिथि – ईसा पूर्व 563 (वैशाख पूर्णिमा)
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पिता – शुद्धोधन (शाक्य कुल के प्रमुख)
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माता – महामाया
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पालन-पोषण – जन्म के सात दिन बाद माता का देहांत हो गया, पालन-पोषण गौतमी महाप्रजापति ने किया।
राजकुमार सिद्धार्थ (बुद्ध का बाल्यकालीन नाम) का जीवन विलासिता से भरा हुआ था। लेकिन उन्होंने जीवन की कठोर सच्चाइयाँ देखीं – बुढ़ापा, बीमारी और मृत्यु। इन्हीं अनुभवों ने उन्हें गहरे चिंतन की ओर प्रेरित किया।
1857 का विद्रोह - कारण , महत्वपूर्ण पुस्तके और प्रभाव.
महाभिनिष्क्रमण
29 वर्ष की आयु में सिद्धार्थ ने अपने महल, पत्नी यशोधरा और पुत्र राहुल को छोड़कर सत्य की खोज के लिए घर त्याग दिया। इस घटना को महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है।
ज्ञान की प्राप्ति
कई वर्षों की कठिन तपस्या और साधना के बाद सिद्धार्थ को बिहार के बोधगया में पीपल के पेड़ (बोधि वृक्ष) के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसके बाद उन्हें गौतम बुद्ध कहा जाने लगा।
धर्मचक्र प्रवर्तन
ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध ने वाराणसी के पास सारनाथ में अपने पाँच शिष्यों को पहला उपदेश दिया। इसे धर्मचक्र प्रवर्तन कहा जाता है। यही से बौद्ध धर्म का वास्तविक प्रारंभ हुआ।
महापरिनिर्वाण
80 वर्ष की आयु में कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) में बुद्ध ने अंतिम उपदेश दिया और महापरिनिर्वाण प्राप्त किया।
बौद्ध धर्म के मुख्य सिद्धांत
1. चार आर्य सत्य (Four Noble Truths)
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दुःख – जीवन में दुःख अनिवार्य है।
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दुःख समुदय – दुःख का कारण तृष्णा (इच्छा, लालसा) है।
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दुःख निरोध – तृष्णा के अंत से दुःख का अंत संभव है।
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दुःख निरोध गामिनी प्रतिपदा – अष्टांगिक मार्ग से दुःख का नाश किया जा सकता है।
भारत का भौगोलिक विस्तार और उसकी स्तिथि
2. अष्टांगिक मार्ग (Eightfold Path)
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सम्यक दृष्टि – सही दृष्टिकोण रखना।
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सम्यक संकल्प – अच्छे विचार और नीयत।
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सम्यक वाक् – सत्य और मधुर वाणी।
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सम्यक कर्मांत – अच्छे कर्म करना।
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सम्यक आजीविका – सही साधन से आजीविका चलाना।
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सम्यक प्रयास – सत्कर्म की ओर प्रयास।
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सम्यक स्मृति – मन और इंद्रियों पर नियंत्रण।
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सम्यक समाधि – ध्यान और एकाग्रता।
3. मध्यम मार्ग
बुद्ध ने सिखाया कि न तो अति विलासिता सही है और न ही अति कठोर तपस्या। संतुलित और मध्यम जीवन ही श्रेष्ठ है।
4. बौद्ध धर्म के पाँच शील (Five Precepts)
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हत्या न करना।
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चोरी न करना।
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असत्य भाषण न करना।
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बुरे आचरण से दूर रहना।
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नशा और व्यसन से दूर रहना।
भारत के पर्वत और पर्वत श्रृंखला
बौद्ध धर्म का दर्शन
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अनित्य (Impermanence) – संसार की हर वस्तु नश्वर और परिवर्तनशील है।
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अनात्मवाद (No-self) – कोई स्थायी आत्मा नहीं है, सब कुछ क्षणिक है।
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प्रतित्यसमुत्पाद (Dependent Origination) – सब कुछ कारण-कार्य संबंध पर आधारित है।
बौद्ध धर्म के ग्रंथ
त्रिपिटक
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विनय पिटक – नियम और अनुशासन।
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सुत्त पिटक – बुद्ध के उपदेश।
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अभिधम्म पिटक – दार्शनिक चर्चा।
जातक कथाएँ
बुद्ध के पूर्व जन्मों की कहानियाँ।
बौद्ध धर्म का प्रसार
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भारत में प्रसार – प्रारंभ में मगध, कौशल, वाराणसी और अन्य गणराज्यों में।
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राजाओं का संरक्षण – बिंबिसार, अजातशत्रु और विशेषकर सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को पूरे भारत और विदेशों में फैलाया।
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अशोक के धम्म प्रचारक – उनके पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा ने श्रीलंका में बौद्ध धर्म फैलाया।
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विदेशों में प्रसार – श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, चीन, जापान, तिब्बत, नेपाल और वियतनाम तक।
बौद्ध धर्म की शाखाएँ
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हीनयान (Theravada) – व्यक्तिगत मोक्ष पर बल, मुख्यतः श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड में।
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महायान (Mahayana) – सबकी मुक्ति पर बल, चीन, जापान और कोरिया में लोकप्रिय।
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वज्रयान (Vajrayana) – मंत्र, तंत्र और साधना पर आधारित, तिब्बत और लद्दाख में।
वित्त आयोग की संपूर्ण जानकारी
भारत पर बौद्ध धर्म का प्रभाव
सामाजिक प्रभाव
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जाति प्रथा को चुनौती।
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स्त्रियों को मठों में स्थान।
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करुणा और समानता की शिक्षा।
राजनीतिक प्रभाव
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सम्राट अशोक का धम्म नीति।
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राज्यों में अहिंसा का प्रचार।
सांस्कृतिक प्रभाव
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सांची स्तूप, अजन्ता-एलोरा गुफाएँ, नालंदा विश्वविद्यालय।
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पाली और संस्कृत साहित्य का विकास।
बौद्ध धर्म का पतन
भारत में बौद्ध धर्म धीरे-धीरे क्यों कमजोर हुआ?
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हिंदू धर्म में सुधार और भक्ति आंदोलन।
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ब्राह्मणवाद की पुनः वृद्धि।
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विदेशी आक्रमणों के कारण विहारों का विनाश।
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बौद्ध भिक्षुओं का विलासिता की ओर झुकाव।
आधुनिक भारत में बौद्ध धर्म
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डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1956 में लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया।
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आज महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश, लद्दाख और हिमालयी क्षेत्रों में बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं।
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तिब्बती शरणार्थियों के साथ भारत में वज्रयान परंपरा भी जीवित है।
बौद्ध धर्म का विश्व पर प्रभाव
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चीन में ज़ेन बौद्ध धर्म।
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जापान में महायान और ज़ेन परंपरा।
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श्रीलंका और थाईलैंड में थेरवाद परंपरा।
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तिब्बत में वज्रयान और दलाई लामा का नेतृत्व।
बौद्ध धर्म मानवता के लिए शांति, करुणा और सत्य का संदेश देता है। इसका मुख्य उद्देश्य है – दुःख से मुक्ति और निर्वाण की प्राप्ति।
आज भी बौद्ध धर्म केवल धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह एक जीवन-दर्शन है जो आधुनिक युग में भी प्रासंगिक है।
बौद्ध धर्म पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs on Buddhism in Hindi)
1. बौद्ध धर्म किसने स्थापित किया था?
उत्तर: बौद्ध धर्म की स्थापना गौतम बुद्ध ने 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में की थी। वे लुंबिनी (नेपाल) में जन्मे थे और सत्य की खोज में उन्होंने संन्यास लिया था।
2. बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांत क्या हैं?
उत्तर: बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांत हैं — चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग। इसके अलावा अहिंसा, करुणा, मध्यम मार्ग और आत्मसंयम पर भी बल दिया गया है।
3. बौद्ध धर्म के ग्रंथ कौन-कौन से हैं?
उत्तर: बौद्ध धर्म के प्रमुख ग्रंथ त्रिपिटक कहलाते हैं —
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विनय पिटक
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सुत्त पिटक
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अभिधम्म पिटक
4. बौद्ध धर्म की मुख्य शाखाएँ कौन-सी हैं?
उत्तर: बौद्ध धर्म की तीन मुख्य शाखाएँ हैं —
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हीनयान (थेरवाद) – व्यक्तिगत मुक्ति पर बल।
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महायान – सबकी मुक्ति और करुणा पर आधारित।
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वज्रयान – तांत्रिक और योग परंपराओं पर आधारित।
5. बौद्ध धर्म का प्रसार किन देशों में हुआ?
उत्तर: बौद्ध धर्म का प्रसार भारत से निकलकर श्रीलंका, चीन, जापान, तिब्बत, थाईलैंड, म्यांमार, कंबोडिया, नेपाल और कोरिया में हुआ।
6. राजा अशोक का बौद्ध धर्म में क्या योगदान था?
उत्तर: सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को अपने शासनकाल में फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने धर्म प्रचार के लिए धर्मदूत भेजे और बौद्ध स्तूपों व विहारों का निर्माण करवाया।
7. बौद्ध धर्म में पंचशील क्या है?
उत्तर: बौद्ध धर्म के पाँच शील ये हैं —
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हिंसा न करना
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चोरी न करना
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झूठ न बोलना
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व्यभिचार न करना
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नशा न करना
8. गौतम बुद्ध ने पहला उपदेश कहाँ दिया था?
उत्तर: बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ (उत्तर प्रदेश) में दिया था, जिसे धर्मचक्र प्रवर्तन कहा जाता है।
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