परिचय:
नमस्कार दोस्तों! यदि आप UPSC, SSC, रेलवे, Delhi Police या किसी अन्य प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो आप जानते ही हैं कि भारतीय संविधान (Indian Constitution) एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह संविधान अचानक से एक दिन में नहीं बना? इसकी जड़ें हमारे इतिहास में गहरी हैं।
हमारा संविधान, दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है, और यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम (Indian Freedom Struggle) और ब्रिटिश शासन (British Rule) के दौरान बनाए गए कानूनों और अधिनियमों से प्रभावित है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम भारतीय संविधान के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (Historical Background of Indian Constitution) को बहुत ही सरल हिंदी में समझेंगे।
हम कंपनी राज (Company Rule) से लेकर क्राउन राज (Crown Rule) तक के सफर को देखेंगे। हर महत्वपूर्ण अधिनियम को उदाहरणों के साथ समझेंगे, और परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण तथ्यों का टेबल के रूप में विश्लेषण करेंगे। तो चलिए, इस रोचक सफर की शुरुआत करते हैं।
भारतीय संविधान की पृष्ठभूमि क्यों महत्वपूर्ण है?
भारतीय संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह हमें बताता है कि आजादी से पहले भारत में कैसे शासन होता था। ब्रिटिश सरकार ने समय-समय पर कई एक्ट और कानून बनाए जिन्होंने भारतीय संविधान को प्रभावित किया। इन ऐक्ट्स में रेगुलेटिंग एक्ट 1773, पिट्स इंडिया एक्ट 1784, चार्टर एक्ट 1833, भारत सरकार अधिनियम 1858, 1909, 1919, और 1935 शामिल हैं।
प्रतियोगी परीक्षाओं में इन एक्ट्स से जुड़े सवाल अक्सर पूछे जाते हैं। इसलिए इनकी समझ होना बहुत जरूरी है।
यह वह दौर था जब भारत पर सीधे ब्रिटिश सरकार का शासन नहीं, बल्कि ईस्ट इंडिया कंपनी (East India
Company) का शासन था। इस दौरान कई अधिनियम बने जिन्होंने भविष्य के संविधान की नींव रखी। यह ब्रिटिश संसद द्वारा पारित पहला महत्वपूर्ण अधिनियम था। इससे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी का कोई नियंत्रण नहीं था। इस एक्ट के मुख्य प्रावधान थे: a. इसने बंगाल के गवर्नर को गवर्नर-जनरल बना दिया। लॉर्ड वारेन हेस्टिंग्स पहले गवर्नर-जनरल बने। रेगुलेटिंग एक्ट की कमियों को दूर करने के लिए यह एक्ट लाया गया। इसके प्रमुख बिंदु: कंपनी के एकाधिकार को खत्म करने और भारत के प्रशासन को और केन्द्रीकृत करने के लिए। इसकी मुख्य विशेषताएं: मुख्य बिंदु: 1857 के सिपाही विद्रोह (Revolt
of 1857) के बाद, ब्रिटिश सरकार ने सीधे भारत का शासन अपने हाथ में ले लिया। इसकी शुरुआत गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट, 1858 से हुई। 1857 के विद्रोह के बाद, कंपनी के शासन को खत्म करने और सीधे ब्रिटिश ताज के अधीन लाने के लिए। मुख्य बिंदु: यह अधिनियम विधायी
प्रक्रिया में भारतीयों को
शामिल करने की दिशा
में पहला कदम था: ·
वायसराय
की कार्यकारी परिषद का विस्तार. ·
विधायी
उद्देश्यों के लिए अतिरिक्त
सदस्य. ·
पहली
बार भारतीयों को नामित करने
का प्रावधान. ·
प्रांतीय
सरकारों को विधायी शक्तियां. ·
विकेंद्रीकरण
की शुरुआत. ऐतिहासिक महत्व: 1862 में तीन भारतीयों
को पहली बार विधान
परिषद में नामित किया
गया - बनारस के राजा,
पटियाला के महाराजा और
सर दिनकर राव। यह अधिनियम भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस की मांगों का
आंशिक परिणाम था: ·
केंद्रीय
और प्रांतीय विधान परिषदों में
सदस्यों की संख्या बढ़ाई
गई. ·
अप्रत्यक्ष
चुनाव की व्यवस्था. ·
परिषद
के सदस्यों को बजट पर
चर्चा का अधिकार. ·
कार्यकारी
से प्रश्न पूछने की
सीमित शक्ति. सीमाएं: यद्यपि यह प्रतिनिधित्व
बढ़ाने की दिशा में
कदम था, लेकिन यह
अपर्याप्त था। वास्तविक निर्वाचन
प्रणाली नहीं थी। 20वीं सदी की शुरुआत में, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन मजबूत हो रहा था। ब्रिटिश सरकार को भारतीयों को शासन में हिस्सेदारी देनी पड़ी। यह दौर कई महत्वपूर्ण अधिनियमों का गवाह बना। लॉर्ड मॉर्ले (भारत मंत्री) और लॉर्ड मिंटो (वायसराय) के नाम पर यह अधिनियम लाया गया! मुख्य बिंदु: मुख्य बिंदु: आरक्षित विषय हस्तांतरित विषय कानून और व्यवस्था शिक्षा पुलिस स्वास्थ्य न्याय स्थानीय स्वशासन वित्त कृषि गवर्नर के नियंत्रण में भारतीय मंत्रियों के नियंत्रण में उदाहरण: द्वैध शासन को ऐसे समझें - एक स्कूल में दो प्रिंसिपल हैं। एक प्रिंसिपल (गवर्नर) पूरे स्कूल की बिल्डिंग और फीस (आरक्षित विषय) का प्रबंधन करता है, जबकि दूसरा प्रिंसिपल (भारतीय मंत्री) पढ़ाई और खेलकूद (हस्तांतरित विषय) का प्रबंधन करता है। यह व्यवस्था सफल नहीं रही क्योंकि शक्तियाँ स्पष्ट रूप से विभाजित नहीं थीं। 1919
के अधिनियम की समीक्षा के लिए 1927 में साइमन कमीशन भारत आया: प्रभाव: भारतीयों ने नेहरू रिपोर्ट (1928) तैयार
की जो एक वैकल्पिक संवैधानिक प्रस्ताव था। संघीय सूची प्रांतीय सूची समवर्ती सूची 59 विषय 54 विषय 36 विषय रक्षा, विदेश मामले कृषि, शिक्षा दीवानी कानून संचार पुलिस, स्वास्थ्य फौजदारी कानून केंद्र के अधीन प्रांत के अधीन दोनों के अधीन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों का सहयोग पाने के लिए सर स्टैफोर्ड क्रिप्स को भेजा: यह मिशन भारत के संवैधानिक भविष्य तय करने आया: मुख्य बिंदु: ·
कैबिनेट मिशन प्लान (1946) के तहत संविधान सभा का गठन हुआ। ·
इसके सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से प्रांतीय विधानसभाओं द्वारा चुने गए थे। ·
पहली बैठक 9
दिसंबर, 1946 को हुई। मुस्लिम लीग ने इसमें भाग नहीं लिया। ·
डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा इसके पहले अस्थायी अध्यक्ष बने। ·
बाद में, डॉ.
राजेंद्र प्रसाद स्थायी अध्यक्ष चुने गए। ·
13
दिसंबर, 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव (Objectives Resolution) पेश किया, जो बाद में संविधान की प्रस्तावना (Preamble) की आधारशिला बना। ·
संविधान सभा ने 26
नवंबर, 1949 को संविधान को अंगीकृत (Adopt) किया और यह 26
जनवरी, 1950 को पूर्ण रूप से लागू हुआ। पद नाम भूमिका अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा की अध्यक्षता उपाध्यक्ष हरेंद्र कुमार मुखर्जी अध्यक्ष की अनुपस्थिति में कार्य संवैधानिक सलाहकार बी.एन. राव प्रारंभिक मसौदा तैयार किया प्रारूप समिति अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान का अंतिम प्रारूप कानूनी सलाहकार बी.एन. राव कानूनी परामर्श प्रारूप समिति (Drafting Committee): ·
अध्यक्ष: डॉ. भीमराव अंबेडकर ·
सदस्य: 7 (कुल) ·
कार्य: संविधान का अंतिम मसौदा तैयार करना ·
गठन: 29 अगस्त
1947 अन्य प्रमुख समितियां: ·
संघ शक्ति समिति - जवाहरलाल नेहरू ·
संघीय संविधान समिति - जवाहरलाल नेहरू ·
प्रांतीय संविधान समिति - सरदार पटेल ·
मौलिक अधिकार समिति - जे.बी. कृपलानी ·
अल्पसंख्यक उप-समिति - एच.सी. मुखर्जी समयरेखा: ·
9 दिसंबर 1946: संविधान सभा की पहली बैठक ·
13 दिसंबर 1946: जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया ·
22 जनवरी 1947: उद्देश्य प्रस्ताव स्वीकृत ·
29 अगस्त 1947: प्रारूप समिति का गठन ·
4 नवंबर 1947: डॉ. अंबेडकर ने संविधान का मसौदा पेश किया ·
26 नवंबर 1949: संविधान को अपनाया गया ·
26 जनवरी 1950: संविधान लागू हुआ कार्य विवरण: ·
कुल बैठकें: 165 (11 सत्रों
में) ·
कुल दिन: 2 वर्ष, 11 माह,
18 दिन ·
खर्च: लगभग 64 लाख रुपये ·
पृष्ठ: प्रारंभ में 395 अनुच्छेद,
8 अनुसूचियां प्रश्न 1: भारतीय संविधान को बनाने में कितना समय लगा? उत्तर: भारतीय संविधान को बनाने में 2 वर्ष, 11 माह और 18 दिन का समय लगा। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई और संविधान को 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया। प्रश्न 2: भारतीय संविधान क्यों 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया? उत्तर: 26 जनवरी
1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया था। इस ऐतिहासिक दिन को याद रखने के लिए संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। इस दिन को अब गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रश्न 3: संविधान सभा में कितने सदस्य थे? उत्तर: प्रारंभ में संविधान सभा में 389 सदस्य
थे। भारत विभाजन के बाद यह संख्या घटकर 299 रह गई। इनमें से 229 सदस्य
प्रांतों से और 70 देसी रियासतों से थे। प्रश्न 4: भारत सरकार अधिनियम 1935 क्यों महत्वपूर्ण है? उत्तर: यह ब्रिटिश काल का सबसे बड़ा और विस्तृत अधिनियम था। इसने प्रांतों में स्वायत्तता दी, संघीय न्यायालय की स्थापना की, और शक्तियों को तीन सूचियों में विभाजित किया। भारतीय संविधान में इसके कई प्रावधान लिए गए हैं। प्रश्न 5: द्वैध शासन क्या था? उत्तर: द्वैध शासन (Dyarchy) 1919 के मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों द्वारा प्रांतों में लागू किया गया। इसमें विषयों को दो भागों में बांटा गया - आरक्षित (गवर्नर के नियंत्रण में) और हस्तांतरित (भारतीय मंत्रियों के नियंत्रण में)। यह व्यवस्था असफल रही। प्रश्न 6: पृथक निर्वाचन मंडल का क्या अर्थ है? उत्तर: इसका अर्थ है कि विभिन्न धार्मिक समुदायों के लिए अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्र और मतदाता सूचियां। यह व्यवस्था 1909 के मॉर्ले-मिंटो सुधारों में शुरू हुई जब मुस्लिमों के लिए पृथक प्रतिनिधित्व दिया गया। प्रश्न 7: संविधान निर्माण में डॉ. अंबेडकर की क्या भूमिका थी? उत्तर: डॉ. भीमराव अंबेडकर प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। उन्होंने संविधान के अंतिम मसौदे को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें "भारतीय
संविधान का निर्माता" कहा जाता है। प्रश्न 8: रेगुलेटिंग एक्ट 1773 का क्या महत्व था? उत्तर: यह ब्रिटिश संसद द्वारा भारत के शासन को नियंत्रित करने का पहला प्रयास था। इसने गवर्नर जनरल का पद बनाया, सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की, और ईस्ट इंडिया कंपनी पर ब्रिटिश सरकार का नियंत्रण स्थापित किया। प्रश्न 9: क्रिप्स मिशन क्यों असफल रहा? उत्तर: क्रिप्स मिशन (1942) इसलिए
असफल रहा क्योंकि इसने युद्ध के बाद डोमिनियन स्टेटस का वादा किया जो तत्काल नहीं था। कांग्रेस पूर्ण स्वतंत्रता चाहती थी और मुस्लिम लीग पाकिस्तान की मांग कर रही थी। गांधीजी ने इसे "पोस्ट-डेटेड चेक" कहा। प्रश्न 10: भारतीय संविधान में कितनी भाषाओं को मान्यता दी गई है? उत्तर: आठवीं अनुसूची में वर्तमान में 22 भाषाएं शामिल हैं। प्रारंभ में 14 भाषाएं थीं। संविधान हिंदी और अंग्रेजी में लिखा गया था। भारतीय संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भारत के संवैधानिक विकास की एक लंबी यात्रा है। रेगुलेटिंग एक्ट 1773 से लेकर भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 तक, हर कानून ने भारतीय संविधान को आकार देने में योगदान दिया। संविधान निर्माताओं ने विश्व के विभिन्न संविधानों का अध्ययन किया और भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप एक संपूर्ण दस्तावेज बनाया। परीक्षा की दृष्टि से, भारत सरकार अधिनियम 1919 और 1935 सबसे महत्वपूर्ण हैं। 1935 का अधिनियम तो हमारे संविधान की रीढ़ की हड्डी
(Backbone) की तरह है। क्या आपको यह ब्लॉग पोस्ट पसंद आया? भारतीय संविधान का इतिहास अब आपके लिए और आसान हो गया होगा। अगर आपको यह मददगार लगा, तो इसे अपने दोस्तों और UPSC, SSC, Railway, Delhi
Police की तैयारी कर रहे साथियों के साथ जरूर शेयर करें। आपके सुझाव और सवाल कमेंट बॉक्स में हमें बताएँ। हम ऐसे ही और महत्वपूर्ण टॉपिक्स को सरल हिंदी में समझाते रहेंगे। पढ़ाई जारी रखें, कामयाबी जरूर मिलेगी!Table of Contents
पहला चरण: कंपनी राज (1773-1858)
1. रेगुलेटिंग एक्ट, 1773 (Regulating Act, 1773)
b. कोलकाता में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना हुई (1774)। यह पहला अदालत था जो ब्रिटिश भारत में कानून का शासन लाया।
c. कंपनी के कर्मचारियों को निजी व्यापार पर प्रतिबंध.
उदाहरण: मान लीजिए आपकी कंपनी तीन शहरों में काम करती है। पहले तीनों शहरों के अलग-अलग मैनेजर थे। रेगुलेटिंग एक्ट ने एक मुख्य मैनेजर (गवर्नर जनरल) बनाया जो सभी को देखता था।2. पिट्स इंडिया एक्ट, 1784 (Pitt's India Act, 1784)
a. बोर्ड ऑफ
कंट्रोल नामक एक निकाय बनाया गया, जो कंपनी के राजनीतिक और सैन्य मामलों को नियंत्रित करता था। यह ब्रिटिश सरकार का प्रतिनिधित्व करता था।
b. कोर्ट ऑफ
डायरेक्टर्स कंपनी के व्यावसायिक मामलों को देखता था।
c. संवैधानिक महत्व: इसने द्वैध शासन
(Dual System of Governance)
की शुरुआत की, जहाँ कंपनी और ब्रिटिश सरकार दोनों का हाथ था। यह 'केंद्र' और 'राज्य' के बीच शक्तियों के बँटवारे की एक छोटी सी झलक थी।
उदाहरण: यह ऐसा था जैसे एक कंपनी में दो विभाग बना दिए गए - एक बिजनेस के लिए, दूसरा प्रशासन के लिए।3. चार्टर एक्ट, 1833 (Charter Act, 1833)
a.
बंगाल
के गवर्नर-जनरल को भारत का गवर्नर-जनरल बना दिया गया। लॉर्ड विलियम बेंटिक पहले 'भारत के गवर्नर-जनरल' बने।
b. ईस्ट इंडिया कंपनी का चाय और चीन के साथ व्यापार का एकाधिकार खत्म कर दिया गया। अब यह पूरी तरह एक प्रशासनिक संस्था बन गई।
c. सभी कानून बनाने की शक्ति गवर्नर जनरल की परिषद में केंद्रित.
d. भारतीयों के लिए सरकारी नौकरियों में खुलापन.
प्रभाव: इस एक्ट ने पहली बार भारतीयों को सरकारी नौकरी पाने का सैद्धांतिक अधिकार दिया।4. चार्टर एक्ट, 1853 (Charter
Act, 1853)
a. इसने गवर्नर-जनरल की विधान परिषद के सदस्यों की नियुक्ति के लिए खुली प्रतियोगिता (Open Competition) की शुरुआत की। यह सिविल सेवाओं (Civil Services) के लिए प्रतिस्पर्धी परीक्षा की शुरुआत थी।
b. यह ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा शासित होने वाला अंतिम चार्टर एक्ट था।
मगध साम्राज्य (Magadh Empire in Hindi) का इतिहास ,उत्पत्ति, प्रमुख वंश, आर्थिक जीवन, साम्राज्य का पतन for Competitive Exams
दूसरा चरण: क्राउन राज (1858-1947)
1. भारत सरकार अधिनियम, 1858 (Government
of India Act, 1858)
a. ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त हो गया।
b. भारत का शासन सीधे ब्रिटिश ताज (British Crown) के अधीन आ गया।
c. भारत के राज्य सचिव (Secretary of State for India) का पद बनाया गया, जो ब्रिटिश कैबिनेट का सदस्य होता था और भारत के प्रशासन के लिए जिम्मेदार था।
d. गवर्नर-जनरल अब वाइसराय (Viceroy)
कहलाने लगा। लॉर्ड कैनिंग पहले वाइसराय बने।
उदाहरण: मान लीजिए एक प्राइवेट कंपनी (ईस्ट इंडिया कंपनी) किसी कॉलोनी को चला रही थी। अब सरकार ने (ब्रिटिश ताज) ने उस कॉलोनी
का सीधा नियंत्रण ले
लिया और एक 'मंत्री'
(Secretary of State) नियुक्त
कर दिया।2. भारतीय परिषद अधिनियम 1861
3. भारतीय परिषद अधिनियम 1892
तीसरा चरण: स्वराज की ओर बढ़ते कदम
(1909-1947)
1. भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 (Indian Councils Act, 1909) - मिंटो-मॉर्ले सुधार
a. पहली बार, भारतीयों को केंद्रीय और प्रांतीय विधान परिषदों में चुनाव द्वारा शामिल किया गया। हालाँकि, यह मनोनयन (Nomination) और चुनाव (Election) का मिश्रण था।
b. पृथक निर्वाचन (Separate Electorate) की शुरुआत हुई, यानी मुसलमानों के लिए अलग से चुनाव क्षेत्र बनाए गए। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और विवादास्पद कदम था।
c. विधान परिषदों के सदस्यों को बजट पर बहस करने, प्रश्न पूछने और प्रस्ताव रखने का अधिकार मिला।
d. संवैधानिक महत्व: यह प्रतिनिधि सरकार (Representative Government) की दिशा में पहला कदम था, भले ही बहुत सीमित था।2. भारत सरकार अधिनियम, 1919 (Government of India
Act, 1919) - मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार
a. इसने द्वैध शासन
(Diarchy) की व्यवस्था लागू की। इसका मतलब है कि प्रांतीय सरकार के विषयों को दो भागों में बाँट दिया गया:
(i) आरक्षित विषय
(Reserved Subjects): वित्त, पुलिस, सिंचाई आदि। इन पर गवर्नर और उसकी कार्यकारी परिषद का नियंत्रण था।
(ii) हस्तांतरित विषय
(Transferred Subjects): शिक्षा, स्वास्थ्य, स्थानीय स्वशासन आदि। इन पर भारतीय मंत्री जो विधान परिषद के प्रति उत्तरदायी थे, नियंत्रण रखते थे।
b. केंद्र में द्विसदनीय व्यवस्था
(Bicameral Legislature) की शुरुआत हुई - राज्य परिषद (Upper
House) और केंद्रीय विधान सभा (Lower
House)।
c. प्रत्यक्ष चुनाव
(Direct Election) की शुरुआत हुई।
द्वैध शासन की व्याख्या:
3. साइमन कमीशन 1927
a. सभी सात सदस्य अंग्रेज थे.
b. एक भी भारतीय सदस्य नहीं था.
c. भारत में इसका व्यापक विरोध हुआ.
d. "साइमन वापस जाओ" का नारा प्रसिद्ध हुआ.
e. लाला लाजपत राय साइमन विरोध के दौरान लाठीचार्ज में घायल हुए4. भारत सरकार अधिनियम, 1935
(Government of India Act, 1935)
यह अधिनियम बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि भारतीय संविधान का एक बहुत बड़ा हिस्सा इसी अधिनियम से लिया गया है।मुख्य बिंदु:
a. प्रांतों में द्वैध शासन समाप्त कर प्रांतीय स्वायत्तता (Provincial Autonomy) की शुरुआत की गई। इसका मतलब है कि प्रांत अब केंद्र के एजेंट नहीं रहे, बल्कि अपने क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से कानून बना सकते थे।
b. केंद्र में द्वैध शासन (Diarchy at Centre) लागू किया गया, लेकिन इसे कभी लागू नहीं किया गया।
c. एक अखिल भारतीय संघ (All India Federation) बनाने का प्रस्ताव था, जिसमें देशी रियासतें और ब्रिटिश भारत के प्रांत शामिल होंगे। यह भी लागू नहीं हुआ।
d. संघीय न्यायालय (Federal Court) की स्थापना की गई (1937 में दिल्ली में स्थापित)।
e. बर्मा (अब म्यांमार) और अदन को भारत से अलग कर दिया गया।
f. भारत परिषद (Council of India) को समाप्त कर दिया गया।
शक्तियों का विभाजन:
स्वतंत्रता आंदोलन और संविधान निर्माण की दिशाक्रिप्स मिशन 1942
a. युद्ध के बाद डोमिनियन स्टेटस का वादा.
b. संविधान बनाने वाली संस्था का प्रस्ताव.
c. प्रांतों को संघ से अलग रहने का विकल्प.
d. कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने अस्वीकार किया.
असफलता: गांधीजी ने इसे "पोस्ट-डेटेड चेक" कहा। भारत छोड़ो आंदोलन (1942) शुरू हुआ।कैबिनेट मिशन 1946
a. संविधान सभा के गठन की योजना.
b. तीन स्तरीय संघीय व्यवस्था का प्रस्ताव.
c. अंतरिम सरकार का गठन.
d. प्रांतों को तीन समूहों में बांटा.
परिणाम: संविधान सभा का गठन हुआ लेकिन विभाजन की प्रक्रिया शुरू हो गई।भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 (Indian Independence
Act, 1947)
a. इसने 15 अगस्त, 1947 से भारत और पाकिस्तान के रूप में दो स्वतंत्र अधिराज्य (Independent Dominions) के गठन की घोषणा की।
b. ब्रिटिश सम्राट की सत्ता समाप्त हो गई।
c. वाइसराय का पद समाप्त हो गया।
d. संविधान सभा (Constituent Assembly) को ही दोनों देशों की विधायिका (Legislature)
बना दिया गया। यानी, भारत की संविधान सभा अब संसद का भी काम करने लगी।
रॉलेट एक्ट 1919 – सम्पूर्ण जानकारी (Rowlatt Act in Hindi)
संविधान सभा का गठन (Role of
the Constituent Assembly)
प्रमुख सदस्य और उनकी भूमिकाएं
महत्वपूर्ण समितियांसंविधान निर्माण की प्रक्रिया
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
औद्योगिक क्रांति: (Industrial Revolution) सम्पूर्ण जानकारी ( औद्योगिक क्रांति के कारण , इतिहास , प्रमुख आविष्कार , चरण , प्रभाव etc)
निष्कर्ष
बौद्ध धर्म (Buddhism in Hindi) इतिहास, सिद्धांत, ग्रन्थ, प्रसार और पतन. (Notes और MCQ).

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